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    Home»नेशनल»विनाश से प्रतिष्ठा तक: चक्रवात अम्फान के प्रति SEEDS का मानवतावादी प्रतिसाद
    नेशनल

    विनाश से प्रतिष्ठा तक: चक्रवात अम्फान के प्रति SEEDS का मानवतावादी प्रतिसाद

    ShreyaBy ShreyaJune 4, 20245 Mins Read

    SEEDS ने आपदा के समय में तत्काल राहत प्रदान की और कमजोर समुदायों में लंबी अवधि के सुधार और चुनौतियों से निपटने के लिए एक युनिक आधार भी तैयार किया

    भारतीय उपमहाद्वीप वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक चक्रवात-संभावित क्षेत्रों में से एक है। इसमें भी विशेष रूप से बंगाल की खाड़ी सबसे ज्यादा प्रभावित विस्तार है। यह क्षेत्र छिछली समुद्री गहराई और गर्म पूल घटना के कारण चक्रवात उत्पत्ति के लिए अधिक संवेदनशील है, जहाँ समुद्र की सतह का तापमान अक्सर 28 डिग्री सेल्सियस से अधिक बढ जाता है। एक सुपर चक्रवाती तूफान, “अम्फान”, 16 मई से 22 मई, 2020 तक हिंद महासागर में आया था। अम्फान के कारण भारत में 72 लोगों की मौत हो गई। इस खतरनाक तूफान के कारण बहुत आर्थिक नुकसान भी हुआ। अनुमानतः 1 लाख करोड़ रुपये (लगभग 13.46 बिलियन अमरीकी डॉलर) का नुकसान इस चक्रवाती तूफान के कारण होने का अंदाज व्यक्त किया गया है।

    SEEDS की प्रतिक्रिया और राहत के प्रयास 

    SEEDS (सस्टेनेबल एनवायरनमेंट एंड इकोलॉजिकल डेवलपमेंट सोसाइटी) नामक 30 साल पुराने संगठन ने स्थानीय भागीदारों के साथ मिलकर, बुरी तरह प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को चिकित्सा सहायता प्रदान करने के लिए 14-दिवसीय मिशन शुरू किया। उन्होंने मोबाइल हेल्थ कैम्प (स्वास्थ्य शिविर) लगाए जो गांव-गांव घूमे। इन शिविरों में कुशल डॉक्टरों ने स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य की जांच की, निदान किया और आवश्यक दवाइयां वितरित की। SEEDS ने पूर्व मेदिनीपुर के कोंटाई-1 ब्लॉक के सारदा ग्राम पंचायत के 15 गांवों के 7,000 से अधिक परिवारों को सुरक्षित जल भी उपलब्ध कराया।

    चक्रवात से प्रभावित सुंदरबन में चुनौती 

    सुंदरबन क्षेत्र को कई तटीय जोखिमों का सामना करना पड़ता है, जिसमें बढ़ते कटाव के कारण भूमि का नुकसान, तटीय बुनियादी ढांचे को नुकसान और मीठे पानी की आपूर्ति का खारा होना शामिल है। इस क्षेत्र में कृषि पद्धतियों पर भी खारापन/लवणता बढ़ने तथा समुद्री जल-सल्फेट की उच्च सांद्रता के कारण प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। इसका मुख्य कारण पूर्वी नदियों से आने वाले मीठे पानी का कम प्रवाह है।

     

    इसकी प्रतिक्रिया में, NVIDIA के सहयोग से SEEDS ने सुंदरबन के प्राकृतिक वातावरण को फिर से जीवंत करने और सामुदायिक तौर पर क्षमता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया। आज तक, यह पहल दक्षिण 24 परगना के पाथरप्रतिमा ब्लॉक के 125,498 से अधिक निवासियों तक पहुँच चुकी है, जिनमें से लगभग आधी महिलाएँ हैं। लगभग 95,680 ग्रामीणों ने ओरिएंटेशन प्रोग्राम में भाग लिया है और 28,360 वनवासियों को वेटलैंड(आर्द्रभूमि) और नदी तट संरक्षण के लिए प्रकृति-आधारित समाधानों में प्रशिक्षण प्राप्त हुआ है।

    इसके अतिरिक्त, SEEDS ने 350 ग्रामीणों को मैंग्रोव नर्सरी प्रबंधन में प्रशिक्षण प्रदान किया और 1,173 ने बचाव और प्राथमिक चिकित्सा सहित पाँच प्रमुख क्षेत्रों में प्रशिक्षण प्राप्त किया। 21,253 परिवारों ने प्रकृति-आधारित प्रथाओं को अपनाया है, जिससे SEEDS के हस्तक्षेप के कारण 65 परिवारों की आर्थिक स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।

    यहां वर्ष 2022 से 2024 तक सुंदरबन का डेटा दिया गया है। 

    इस परियोजना ने कई गतिविधियां आयोजित की थी, जो विविध जनसांख्यिकी तक पहुँची। क्षमता निर्माण के तहत, 114,952 लोगों तक पहुँचा गया, जिनमें 38,447 पुरुष, 42,848 महिलाएँ और 18 वर्ष से कम आयु के 33,657 बच्चे शामिल थे। मैंग्रोव प्लांटेशन पहल ने 91,256 व्यक्तियों तक पहुँच बनाई, जिनमें 37,833 पुरुष, 42,411 महिलाएँ और 18 वर्ष से कम आयु के 11,012 बच्चे शामिल थे। जागरूकता गतिविधि में 6,373 लोग शामिल हुए, जिनमें 2,576 पुरुष, 2,774 महिलाएं और 18 वर्ष से कम आयु के 1,023 बच्चे शामिल थे।

    स्ट्रीम वर्क प्रोटेक्शन में 33,864 लोग शामिल हुए, जिनमें 16,346 पुरुष, 13,875 महिलाएं और 18 वर्ष से कम आयु के 3,643 बच्चे शामिल थे। कुल मिलाकर, परियोजना की कुल प्रत्यक्ष पहुंच 246,445 थी, जिसमें 95,202 पुरुष, 101,908 महिलाएं और 18 वर्ष से कम आयु के 49,335 बच्चे शामिल थे, जबकि 64 वरिष्ठ नागरिकों और 18 वर्ष से कम आयु के 26,617 बच्चों को अतिरिक्त सहायता मिली। इसके अतिरिक्त, कुल अप्रत्यक्ष पहुंच 12,32,225 लोगों की थी।

    चुनौतियों को अवसरों में बदलना: स्ट्रीम बैंक संरक्षण में केस स्टडीज़ 

    — सुप्रिया कयाल – स्ट्रीम बैंक संरक्षण, हेरम्बा गोपालपुर 

    हेरम्बा गोपालपुर की 39 वर्षीय निवासी सुप्रिया कयाल को सुंदरबन में चक्रवातों द्वारा मचाई गई तबाही का प्रत्यक्ष अनुभव है। बाघ के हमले में अपने पिता को खोने सहित कठिनाइयों से भरी पृष्ठभूमि के साथ, सुप्रिया का जीवन प्राकृतिक प्रतिकूलताओं के खिलाफ संघर्षपूर्ण रहा है। जब SEEDS ने उनके घर के पास स्ट्रीमबैंक को मजबूत करने की योजना बनाई, तो उन्होंने पहल की और समुदाय का भी समर्थन जुटाया। स्ट्रीमबैंक संरक्षण के लाभों के बारे में ग्रामीणों को शिक्षित करने और वेटिवर की खेती को बनाए रखने के लिए उनकी प्रतिबद्धता सुनिश्चित करने में उनके प्रयास महत्वपूर्ण थे।

    — गौरी जना – नदी तट संरक्षण, दक्षिण काशीनगर

    दक्षिण काशीनगर की 48 वर्षीय गौरी जना को सुंदरबन की जैव विविधता की गहरी समझ है, जो नदी तट संरक्षण प्रयासों के लिए महत्वपूर्ण है। चक्रवात अम्फान से उसके गांव में तबाही मचने के बाद, गौरी ने क्षेत्र की सुरक्षा के लिए प्राकृतिक समाधान अपनाने की हिमायत की। वेटिवर वृक्षारोपण पहल में उनके नेतृत्व ने न केवल नदी के किनारों को मजबूत करने में मदद की है, बल्कि भविष्य की आपदाओं के खिलाफ पारिस्थितिक सुरक्षा के महत्व पर उनके समुदाय को शिक्षित भी किया है, जिसके लिए उन्होंने SEEDS और उनके सहयोगियों के प्रति आभार व्यक्त किया है।

    निष्कर्ष : 

    चक्रवात अम्फान के विनाश के मद्देनजर, SEEDS की प्रतिक्रिया की कहानी सामुदायिक सफल होने की शक्ति, क्षमता और तैयारी के महत्व के प्रमाण के रूप में कार्य करती है। अथाह प्रयासों के माध्यम से, SEEDS ने, न केवल तत्काल राहत प्रदान की है, बल्कि सबसे कमजोर समुदायों में लंबी अवधि के सुधार और चुनौतियों से निपटने के लिए आधार भी तैयार किया है।

    <p>The post विनाश से प्रतिष्ठा तक: चक्रवात अम्फान के प्रति SEEDS का मानवतावादी प्रतिसाद first appeared on PNN Digital.</p>

    Shreya
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